Monday 4 February 2013

किसानों ने की नोएडा अथॉरिटी के खिलाफ धरना Call@ 08010060609






 इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद अथॉरिटी से मुआवजा नहीं मिलने, आबादी की जगह छोड़ने के मामले में लापरवाही और 10 फीसदी विकसित भूमि नहीं मिलने की वजह से रविवार को किसान संघर्ष समिति ने ग्रेटर नोएडा वेस्ट में जुलूस निकाला। किसान संघर्ष समिति के सदस्यों ने रविवार को ग्रेटर नोएडा वेस्ट में गौड़ सिटी, अजनारा और आम्रपाली के प्रॉजेक्ट में काम बंद करा दिया। सोमवार को जमीन अधिग्रहण के मसले पर सुप्रीम कोर्ट में इटेहड़ा गांव मामले में सुनवाई होनी है। किसानों को कोर्ट में होने वाली सुनवाई में जमीन के मामले पर स्पष्ट फैसला आने की उम्मीद है।

किसान संघर्ष समिति के बैनर तले ग्रेटर नोएडा वेस्ट के किसानों ने रविवार को इलाके में जुलूस निकाला। इसके बाद किसानों ने गौड़ सिटी, अजनारा और एवीजे समेत कम से कम 25 बिल्डरों की साइट पर चल रहा काम बंद करा दिया। समिति के संयोजक दुष्यंत नागर ने कहा, 'हाई कोर्ट का आदेश आए 15 महीने से अधिक समय बीत चुका है, जबकि अथॉरिटी किसानों के लिए डिले टैक्टिस अपना रही है। किसानों को उनका हक दिलाने के लिए कोई संगठन सामने नहीं आ रहा है। इस वजह से किसानों ने काम बंद कराने का फैसला किया है।' नागर ने बताया कि अथॉरिटी ने हर मामले की अलग समिति बनाने की कवायद शुरू कर दी है, इससे किसानों को समाधान मिलने में और वक्त लगेगा।

किसानों ने नोएडा अथॉरिटी के खिलाफ रविवार से कोंडली बांगर गांव में धरना शुरू कर दिया है। पंचायत में ग्रेटर नोएडा किसान संघर्ष समिति के प्रवक्ता मनवीर भाटी ने कहा कि अथॉरिटी समय से किसानों को मुआवजा और विकसित जमीन नहीं देकर कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रही है। भाटी ने बताया, 'किसानों को मुआवजा दिए बिना उनकी जमीन बिल्डरों को बेच दी गई है। मुआवजे के लिए बनाई गई समिति से जब किसान मिलते हैं तो उन्हें नई डेडलाइन दे दी जाती है।' मनवीर ने बताया कि किसान 12 मीटर वाली सड़क पर विकसित जमीन मांग रहे हैं और अथॉरिटी ने पिछले साल 21 अगस्त को लिखित रूप में इस पर सहमति व्यक्त की है, लेकिन बाकी बची जमीन भी बिल्डरों को दे दी गई है। भाटी ने कहा, 'अगर अथॉरिटी समझौते की शर्त का पालन नहीं करती, तो हम उसे जमीन नहीं दे सकते। किसानों को विकसित जमीन देने के लिए अथॉरिटी के पास जमीन ही नहीं है। बची हुई जमीन बिल्डर को दी जा रही है, ऐसे में हमें अथॉरिटी किस तरह जमीन देगी।'

किसान नेता इंद्र नागर ने हाई पावर कमेटी में छोड़ी गई जमीन को कम करने पर डीएम और एसएसपी की निंदा की। उन्होंने कहा, '50-60 फीसदी किसानों ने बढ़ा हुआ मुआवजा लेने के लिए आवेदन दिया, लेकिन अथॉरिटी ने सबमें कुछ न कुछ पेच फंसा दिया। 10 फीसदी विकसित भूमि देने पर अथॉरिटी की मंशा स्पष्ट नहीं है। ऐसे में किसान क्या करें? अगर समझौता लागू करना है तो तय शर्तों का पालन करना पड़ेगा।' नागर ने कहा कि अगर समझौते का पालन नहीं हुआ तो जमीन किसानों को वापस दी जाए।

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